आज मैं ट्रेन में घटी इस hindi sexy story का दूसरा और आखिरी पार्ट पेश कर रहा हूँ। मेरा सब्र टूट गया था और मैंने भी उस रंग रैली में शामिल होने का फैसला किया। जानिए की मुझे मौका मिलता है या नहीं? मैं उस माँ-बेटी की की किस तरह बजाता हूँ? अब में desi kahani पर आता हूँ-
Hindi sex story के अन्य भाग-
आखिरी पार्ट
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अब मैंने अपना मुँह कंबल से निकाल लिया और उनकी तरफ करवट ले कर उनके कारनामे देखने लगा। सर अब माला को छोड़ कर फिर से शिखा के पास पहुँच गये और उसे अपनी बांहों में लेकर उसकी चूत मसलने लगे। शिखा ने चूत मसलने के साथ ही अपनी टाँगें फैला दीं और फिर एक पैर सीट पर रख दिया। अब सर झुक कर शिखा की चूत में अपनी जीभ घुसेड़ कर उसको अपनी जीभ से चोदने लगे। यहसब देख कर माला जो अब तक खुद ही अपनी चूत में अँगुली अंदर-बाहर कर रही थे, आगे बढ़ी और सरका फुला हुआ सूपाड़ा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। तब सर ने शिखा को सीट के किनारे टाँगें फैला कर बिठा दिया और उसके पैर सीट पर रख दिये। ऐसा करने से शिखा की चूत अब बिल्कुल खुल कर सीट के किनारे आ गयी तो सर वहीं बैठ कर शिखा की चूत को चाटने और चूसने लगे। माला को भी अब ताव चढ़ चुका था और उसने सरके आगे बैठ कर सर का लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। मैं यह सब देख कर अपने आप को रोक ना सका और अपनी सीट पर बैठ गया। मुझको उठते देख कर तीनों घबड़ा गये और अपने-अपने कपड़े ढूँढने लगे। मैं हँस कर बोला,“सॉरी, मैं आप लोगों को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था, लेकिन मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। कोई बात नहीं आप लोग अपना काम जारी रखिये… मैं यहाँ बैठा हूँ।“
अब तक माला और शिखा दोनों ने अपनी अपने जिस्म को अपने हाथों से ढक लिया था। माला अपनी नज़र मेरी तरफ घुमा कर बोली, “तुम कबसे जागे हुए हो?”
“अरे मैं सोया ही कब था कि जागुँगा!” मैंने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा तो माला और शिखा मेरी तरफ घूर-घूर कर देखने लगीं और सर ने अपने नंगपने को ध्यान ना देते हुए मेरी तरफ मुड़ कर अपना हाथ मुझसे मिलाया और कहा, “मेरा नाम अनिल शर्मा है और मैं आई-ओ-सी में काम करता हूँ। अब तुम जब हमारा कार्यक्रम देख चुके हो तो मैं तुम्हें हमारे साथ शामिल होने का निमंत्रण देता हूँ। अगर तुम्हें कोई आपत्ति ना हो तो?”
मैंने कहा, “आपका निमंत्रण स्वीकार है और मुझे खुशी होगी आपके साथ जवानी का खेल खेलने में… वैसे इस खेल में मुझे कोई एक्सपीरियंस नहीं है!”
यह सुनकर माँ और बेटी दोनों मुस्कुरा दीं। माला ने उठ कर कूपे की लाईट जला दी और मेरे पास आ कर मुझे पकड़ कर मेरे होठों को चूमते हुए बोली, “एक्सपीरियंस नहीं है तो क्या हुआ… मुझे खूब एक्सपीरियंस है… मैं बनाऊँगी तुम्हें मर्द!”

जबरदस्त ठुकाई सेशन
तब मैं माला को अपनी बांहों में लेकर एक हाथ से उसकी चूँची मसलने लगा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर ले जा कर चूत में अँगुली करने लगा। उधर अनिल ने अब शिखा को सीट पर लिटा दिया था और उसकी चूत में अपनी अँगुली पेल रहा था और शिखा मज़े से सिसकते हुए छटपता रही थी। शिखा अपनी माँ को देख कर बोली, “मम्मी सर का लौड़ा तो बेहद बड़ा है… मैंने इतना बड़ा लंड नहीं लिया कभी… इनका ये लौड़ा मैं कैसे झेलुँगी मैं अपनी चूत में?”
मेरी बाँहों से निकलकर माला शिखा के पास गयी और उसका सिर सहलाते हुए और शिखा की चूँची दबाते हुए बोली, “बेटी, पहले तो थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त करना होगा… फिर बाद में खूब मज़ा आयेगा। तू फ़िक्र ना कर… सर बेहद आराम-आराम से तेरी लेंगे और तुझे मज़ा देंगे। अब देख मैं भी अमित के पास जा रही हूँ और उसे अपनी चूत दूँगी और मज़े लूँगी!” इतना कह कर माला मेरे पास आ गयी और मेरी लौड़े को चूमने और चूसने लगी। यह देख कर शिखा भी उठ कर अनिल का लंड अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। अनिल का लंड इतना मोटा था कि शिखा के मुँह में पूरा नहीं समा पा रहा था। शिखा अनिल का लंड अपनी मुठी में लेकर चाटने लगी।
इधर मैं भी माला से अपना लंड बड़े आराम से चूसवा रहा था और माला मारे गर्मी के कभी-कभी मेरे सुपाड़े को अपने दाँत से हल्के-हल्के काट रही थी। अब माला सीट के पास झुक कर खड़ी हो गयी! ऊँची पेन्सिल हील की सैंडल पहने बिल्कुल नंगी इस तरह झुकी हुई वो बेहद सैक्सी लग रही थी और मैं उसके पीछे से आ कर उसके चुत्तड़ों में अपना लंड रगड़ने लगा। माला बोली, “अब तुम पीछे से मेरी चूत में लंड पेल कर कुत्ते की तरह मुझे चोदो!” मैंने थोड़ा से थूक अपने लंड पर लगाया और माला की चूत में अपना लंड पेल दिया। माला मेरे लंड को अंदर लेते ही अपनी कमर आगे पीछे करने लगी और जोर-जोर से बोलने लगी, “देख शिखा देख, कैसे अमित का कुँवारा लंड मेरी चूत में घुस कर मुझे मज़ा दे रहा है। अब तुझे भी सर अपने लंड से मज़ा देंगे। तू जल्दी से अपनी चूत में सरका का लंड डलवा ले!”
“अरे मम्मी मैं कब इंकार कर रही हूँ। सर ही तो अपना मेरे अंदर नहीं डाल रहे हैं, वो तो बस मेरी चूत को चूस रहे हैं। वैसे मुझे भी अपनी चूत चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा है,” शिखा अपनी माँ से बोली।
तब माला ने अनिल से कहा, “अरे सर… शिखा चुदवाने के लिये तैयार है… आप अपना लंड जल्दी से शिखा की चूत में पेल दो!” अनिल ने फिर शिखा को ठीक से लिटा कर उसकी चूत और अपने लौड़े पे अच्छी तरह से पॉंड्स कोल्ड क्रीम लगाई और अपना लंड शिखा की चूत के ऊपर रख दिया।
जैसे ही अनिल ने अपना लंड शिखा की चूत के अंदर दबाया तो शिखा चिल्ला पड़ी, “हाय! मम्मी मुझे बचाओ, मैं मरी जा रही हूँऊँऊँ। हाय! मेरी चूत फटी जा रही है। सर अपना लंड मेरी चूत से निकाल लो प्लीज़!”
माला तब मेरे लंड को अपनी चूत से निकाल कर शिखा के पास पहुँच गयी और उसके चूँची को दबाते हुए बोली, “बस शिखा बस, अभी तेरी तकलीफ़ दूर हो जायेगी! बस थोड़ा सा बर्दाश्त कर। तेरी यह पहली चुदाई तो है नहीं? मैं जानती हूँ सर का लंड बेहद बड़ा और मोटा है….जब मैं इनसे पहली बार चुदी थी तो मेरी भी यही हालत हुई थी लेकिन ऐसे शानदार लंड से चुदवाना हर औरत को नसीब नहीं होता! अभी सर तुझे चोद-चोद कर इस कद्र मज़ा देंगे कि दिवानी हो जायेगी तू सर के लौड़े की!” यह कह कर माला शिखा की चूचियों को चूसने लगी।
थोड़ी देर के बाद माला ने अपनी बेटी की चूत को दोनों हाथों से लंड खाने के लिये फ़ैला दिया और अनिल से कहा, “सर लीजिये… मैंने शिखा की चूत को फ़ैला दिया है… अब आप अपना लंड धीरे-धीरे शिखा की चूत में डालो और इसको मज़ा दो!” फिर अनिल ने अपना सुपाड़ा फिर से शिखा की चूत के ऊपर रखा और धीरे से उसको अंदर कर दिया। शिखा फिर से चिल्लाने लगी लेकिन उसकी बात ना सुनते हुए अनिल ने एक जोरदार धक्का मारा और उसका लंड शिखा की चूत में घुस गया। शिखा एक चींख मार कर बेहोश सी हो गयी। माला शिखा की चूँची को जोर-जोर मसलने लगी। अनिल यह सब ना देखते हुए अपनी रफ़्तार से शिखा की चूत में अपना लंड पेले जा रहा था। थोड़ी देर के बाद शिखा ने आँखें खोली और अपनी मम्मी से कहने लगी, “हाय! मम्मी बहुत दर्द कर रहा है और मज़ा भी आ रहा है!” यह सुन कर माला बोली, “बस अब थोड़ी ही देर में तेरा सब दर्द दूर हो जायेगा और तुझे मज़ा ही मज़ा आयेगा!”